मनपसंद सपने क्यों नहीं आते? रहस्यमयी खेल का राज!

कभी सोचा है, सपने क्यों आते हैं? जानिए नींद के पीछे छिपा रहस्य

by Real Voice News

हम सभी ने कभी न कभी यह जरूर सोचा है कि आखिर सपने आते क्यों हैं? नींद में जब शरीर विश्राम कर रहा होता है, तब मस्तिष्क (Brain) अपनी गतिविधियां पूरी तरह बंद नहीं करता। यही कारण है कि हमें नींद में तरह-तरह के सपने दिखाई देते हैं।

सपनों का वैज्ञानिक कारण

स्वप्न विज्ञान के अनुसार, जब हम गहरी नींद में पहुँचते हैं, तब मस्तिष्क “आरईएम” (REM – Rapid Eye Movement) अवस्था में प्रवेश करता है। इस अवस्था में आंखों की पुतलियां तेजी से हिलती हैं और दिमाग में दिनभर की यादें, भावनाएं और विचार आपस में जुड़ने लगते हैं। यही मिश्रण “सपनों” का रूप लेता है।

अजीब या अनदेखे सपने क्यों आते हैं

कई बार हमें ऐसे सपने आते हैं, जिनके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं होता। इसका कारण है कि हमारा मस्तिष्क केवल वर्तमान विचारों पर नहीं, बल्कि पुराने अनुभवों, भय, इच्छाओं और अवचेतन (Subconscious Mind)में दबे हुए विचारों पर भी काम करता है। इसलिए कभी-कभी सपने बिल्कुल अनजान या अजीब लगते हैं।

मनपसंद सपने क्यों नहीं आते

बहुत से लोग चाहते हैं कि वे अपने मनपसंद सपने देखें जैसे किसी प्रियजन से मिलना, किसी स्थान पर घूमना या अपनी सफलता का सपना देखना। लेकिन सपनों पर हमारा सीधा नियंत्रण नहीं होता। क्योंकि सपने हमारे “अवचेतन मन” से निकलते हैं, जो हमारी इच्छाओं से ज्यादा गहराई में छिपे विचारों और भावनाओं पर आधारित होता है।

सपनों की प्रकृति को प्रभावित करने वाले कुछ बाहरी कारण भी होते हैं, जैसे सोने से पहले मसालेदार भोजन करना, अधिक तनाव या चिंता में होना, दवाइयों का सेवन या मानसिक थकान। ये स्थितियां बुरे या असामान्य सपनों को जन्म दे सकती हैं।

क्या हर सपना कोई संकेत देता है?

स्वप्न शास्त्र के अनुसार, हर सपना किसी न किसी मानसिक स्थिति, चिंता या इच्छा का संकेत होता है। हालांकि सभी सपनों का भविष्य से संबंध नहीं होता। कई बार सपने सिर्फ मस्तिष्क की मानसिक सफाई (mental detox) का हिस्सा होते हैं, जिनसे मन हल्का होता है।

सपने हमारे मन और मस्तिष्क के संवाद का माध्यम हैं। वे हमारी यादों, भावनाओं और इच्छाओं का प्रतिबिंब होते हैं। सपनों को लेकर जिज्ञासा रखना स्वाभाविक है, क्योंकि वे हमारी आत्मा और मन की गहराइयों को छूते हैं।

सपने रहस्यपूर्ण जरूर हैं, पर वे हमें यह समझने का अवसर देते हैं कि हमारा मन सिर्फ जागते हुए नहीं, बल्कि सोते हुए भी सोचता और महसूस करता है।

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