बढ़ती महंगाई, रासायनिक खादों की कीमत और मिट्टी की गिरती उपज शक्ति ने आज के किसान को सोचने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में जैविक खेती (Organic Farming)एक ऐसा विकल्प बनकर उभरी है, जो कम लागत में अच्छी उपज और दीर्घकालीन लाभ दे सकती है। सवाल यह है कि क्या सीमित संसाधनों वाला किसान भी जैविक खेती कर सकता है? जवाब है – हां, बिल्कुल।
जैविक खेती के फायदे क्या हैं?
मिट्टी की सेहत में सुधार
बेस्वाद नहीं, पोषण से भरपूर फसलें
बाजार में ऊंचे दाम
प्राकृतिक जैव विविधता का संरक्षण
लंबे समय में कम लागत, ज्यादा मुनाफा
कम लागत में जैविक खेती के मुख्य तरीके-
देशी गाय से बना जीवामृत और घनजीवामृत
घटक: गोमूत्र, गोबर, गुड़, बेसन (या आटा), मिट्टी और पानी
उपयोग: यह मिश्रण मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाता है और फसलों की वृद्धि को तेजी से बढ़ाता है।
लागत: लगभग न के बराबर, अगर आपके पास गाय है।
खेत में उपलब्ध जैविक अपशिष्ट का उपयोग
फसल अवशेष, पत्तियां, गोबर से कंपोस्ट खाद आसानी से बनाई जा सकती है।
बाजार से वर्मी कंपोस्ट खरीदने की बजाय खुद बनाएं।
नीम और लहसुन से बना प्राकृतिक कीटनाशक
नीम की पत्तियों और लहसुन को पीसकर पानी में मिलाएं और छानकर स्प्रे करें। यह सस्ता और असरदार कीटनाशक है।
फसल चक्र और मिश्रित खेती अपनाएं
लगातार एक ही फसल लगाने से मिट्टी कमजोर होती है। दलहनी फसलें (जैसे मूंग, उड़द) नाइट्रोजन बढ़ाती हैं। इससे उर्वरक की जरूरत घटती है।
बॉर्डर क्रॉपिंग और ट्रैप क्रॉप का प्रयोग
कीटों को मुख्य फसल से दूर रखने के लिए मेढ़ों पर तुलसी, गेंदे, सूरजमुखी लगाएं। इससे रासायनिक कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ेगी।
स्थानीय बाजार में बेचें, बिचौलियों से बचें
जैविक उत्पाद की सही कीमत तभी मिलेगी जब आप सीधे उपभोक्ता तक पहुंचें।
मंडी से बेहतर है – स्थानीय किसान बाजार या CSA मॉडल (Community Supported Agriculture) अपनाना।