बरसात की भीगी रातों में जब धरती से नमी उठती है और आसमान में बादल थम जाते हैं, तब कभी-कभी अंधेरे में टिमटिमाती रोशनी की लकीरों में दिखाई देते थे जुगनू। ये छोटे से कीट अपनी प्राकृतिक चमक से बचपन की यादों का हिस्सा बन गए हैं, लेकिन अफसोस की बात यह है कि अब जुगनू पहले जैसे दिखते नहीं हैं।
जुगनू क्या हैं?
जुगनू (Fireflies या Lightning bugs) एक प्रकार के कीट होते हैं जो ‘लैम्पायरिडे’ (Lampyridae) नामक परिवार से संबंध रखते हैं। यह मुख्य रूप से गर्म और नम वातावरण में सक्रिय होते हैं, विशेषकर मानसून के दौरान। इनकी खास पहचान है, अंधेरे में चमकना।
जुगनू कैसे चमकते हैं?
जुगनू की चमक एक प्राकृतिक रासायनिक प्रक्रिया होती है, जिसे बायोलुमिनेसेंस (Bioluminescence)कहते हैं।
इसके तहत उनके शरीर के निचले हिस्से में स्थित एक अंग में लुसिफरीन (Luciferin)नामक रसायन, ऑक्सीजन और एंजाइम की मदद से प्रतिक्रिया करता है। इस प्रक्रिया में गर्मी रहित प्रकाश (cool light)उत्पन्न होता है, जो हरे या पीले रंग में दिखाई देता है।
यह चमक मुख्यतः
संचार (Communication)
साथी को आकर्षित करने (Mating signal)
और कुछ मामलों में शिकारियों को डराने के लिए उपयोग होती है।
जुगनू क्यों गायब हो रहे हैं?
आजकल जुगनू पहले की तरह दिखाई नहीं देते। इसके पीछे कई वैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारण हैं:
प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)
शहरीकरण के कारण रातों में फैले कृत्रिम रोशनी के जाल ने जुगनुओं के प्राकृतिक संचार प्रणाली को बाधित किया है। उन्हें साथी को पहचानने में कठिनाई होती है।
कीटनाशकों का उपयोग (Pesticides)
खेतों में और बगीचों में छिड़के जाने वाले कीटनाशक जुगनुओं और उनके लार्वा को नष्ट कर देते हैं।
आवास का नाश (Habitat Loss)
पेड़, झाड़ियां और गीली भूमि, जहां जुगनू रहते और अंडे देते हैं अब कंक्रीट के जंगलों में बदल गई हैं।
वातावरणीय परिवर्तन (Climate Change)
बरसात के पैटर्न में बदलाव और अत्यधिक गर्मी या ठंड ने भी इनके जीवनचक्र को प्रभावित किया है।
पर्यावरण में जुगनुओं का महत्व
जुगनू न केवल सुंदरता का प्रतीक हैं बल्कि: प्राकृतिक जैव विविधता का हिस्सा हैं। उनके लार्वा कृमियों और कीड़ों को खाकर खेतों की रक्षा करते हैं। उनकी उपस्थिति से पर्यावरण की स्वस्थता का संकेत मिलता है।
हमारी बचपन की यादें और जुगनू
जुगनुओं की टिमटिमाती रोशनी बचपन की वो तस्वीरें लेकर आती है जब हम उन्हें पकड़ने की कोशिश में दौड़ते थे, कांच की बोतलों में भरते थे, और घंटों उन्हें निहारते रहते थे। आज के बच्चों से यह दृश्य गायब हो रहा है।
क्या हम फिर देख पाएंगे जुगनू?
हां, यदि हम चाहें तो। इसके लिए हमें कुछ प्रयास करने होंगे:
अपने बगीचे या घर के पास कीट-नाशक का उपयोग बंद करें।
रात के समय अनावश्यक रोशनी न करें।
स्थानीय पौधों और नमी वाली भूमि को बचाएं।
पर्यावरण की रक्षा करें, क्योंकि जुगनू वहीं रहते हैं जहां प्रकृति जीवंत होती है।