हिंदू धर्म में कार्तिक मास को वर्ष का सबसे पवित्र महीना कहा गया है। यह महीना न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्तिक मास में स्नान, दान, व्रत, कथा, पूजा और विशेष रूप से दीपदान का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक में किया गया दीपदान अनंत गुना फल प्रदान करता है और जीवन में सुख, शांति तथा समृद्धि लाता है।
दीपदान का आध्यात्मिक महत्व-
दीपक प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है। जब हम दीप प्रज्वलित करते हैं, तो यह केवल अंधकार को दूर नहीं करता, बल्कि हमारे मन, विचार और जीवन में व्याप्त अज्ञान और नकारात्मकता को भी मिटाता है। कार्तिक माह को भगवान विष्णु का प्रिय मास कहा गया है और इस महीने दीपदान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। पद्मपुराण और स्कंदपुराण में उल्लेख है कि कार्तिक मास में दीपदान करने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
दीपदान और पर्यावरण का संबंध-
प्राचीनकाल में दीपदान का अर्थ केवल धार्मिक क्रिया नहीं था। जब दीपक जलाए जाते थे, तो उससे वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता था। घी या तिल के तेल से जलने वाले दीपक से निकलने वाली सुगंध हवा को शुद्ध करती है। दीपदान का यह परंपरागत रूप आज भी हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
दीपदान के अवसर और विधि-
कार्तिक मास में विशेष रूप से शरद पूर्णिमा, एकादशी, अमावस्या, तुलसी विवाह, और कार्तिक स्नान के बाद दीपदान करने की परंपरा है। संध्या के समय तुलसी, भगवान विष्णु, लक्ष्मी माता और गंगा नदी के किनारे दीप जलाया जाता है। माना जाता है कि घर के द्वार पर, आंगन में और तुलसी चौरा में जलाए गए दीपक से घर में लक्ष्मी माता का आगमन होता है।
धार्मिक मान्यता और फल-
शास्त्रों में कहा गया है “दीपं दत्वा हरेरग्रे, कार्तिके मासि मानवः। अकल्पकोटिजन्मानां तमो नयति संक्षयम्॥”
अर्थात जो व्यक्ति कार्तिक मास में भगवान विष्णु के समक्ष दीपदान करता है, उसके करोड़ों जन्मों के अंधकारमय पाप नष्ट हो जाते हैं। दीपदान से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है, जीवन में स्थिरता आती है और घर में समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
समाज के लिए प्रेरणा-
दीपदान का अर्थ केवल मंदिर या घर में दीप जलाना ही नहीं है, बल्कि समाज के अंधकार को भी मिटाना है। जब हम किसी गरीब, जरूरतमंद या बीमार व्यक्ति की सहायता करते हैं, तब वह भी एक “मानव दीपदान” होता है। कार्तिक माह हमें यही सिखाता है कि प्रकाश केवल बाहर नहीं, भीतर भी जलाना है।
कार्तिक माह का दीपदान हमें यह संदेश देता है कि जैसे एक छोटा दीपक अंधकार को दूर करता है, वैसे ही हमारे छोटे-छोटे सद्कर्म समाज में उजाला फैलाते हैं। इसलिए इस पवित्र महीने में दीपदान अवश्य करें मंदिरों में, तुलसी के पास, नदी तटों पर और अपने हृदय में भी।